के.जी.एम.सी के ट्रॉमा सेन्टर मे पत्रकारों की दुपहिया वाहन पार्किंग पर रोक।

के.जी.एम.सी के ट्रॉमा सेन्टर मे पत्रकारों की दुपहिया वाहन पार्किंग पर रोक।

आदेश मांगने पर पी.आर.ओ. और डॉ संगीता सिंह ने प्रक्टर पर बात रखी।

लखनऊ संवाददाता। जहाँ राजधानी लखनऊ मे चिकित्सा स्वास्थ मंत्री ब्रजेश पाठक लगातार मुख्यमंत्री के सपनों को साकार करने के लिए प्रदेश के सभी जिलों का हाल लेकर स्वास्थ्य व्यवस्था को सुचारू व सुगम बनाने मे लगे है वही लखनऊ के ट्रामा सेन्टर मे पत्रकारों की दोपहिया वाहन को लेकर आये दिन पत्रकारों की वहां के सुरक्षाकर्मीयों से बहेस होती है और बात मारपीट तक उतर आती है अगर कोई पत्रकार अपनी दोपहिया वाहन खड़ी भी कर के चला जाता है तो उसकी गाड़ी मे सुरक्षाकर्मी चेन से ताला लगा देता है जिसके बाद बहेस गरम हो जाती है और पत्रकार की गाड़ी देख व पीछे से ठंडा लेकर भागता हुआ आता है और सख्त आवाज मे बोलता है कि यहां पर प्रेस की दो पहिया वाहन नही लगा सकते जाये और पार्किंग मे 30/-रूपये का टोकन लेकर दोपहिया वाहन लगायें बल्कि सैकड़ो की संख्या मे वहा पर दोपहिया वाहन पार्किंग हो रखी है लेकिन सिर्फ पत्रकारों की गाड़ी पर ही विशेष आपत्ती है पुछने पर सुरक्षाकर्मी पी.आर.ओ. और ट्रामा सेन्टर प्रभारी डा0 अनीता सिंह का हवाला देता है वही जब डा0 अनीता सिंह से बात होती है तो वह प्राक्टर डा0 शिशिर श्रीवास्तव का हवाला देती है लेकिन आदेश की कापी नही दिखाती और न किसी प्रकार का प्रेस पार्किग निषेध का बोर्ड ही लगा है जिससे आभास हो कि यहा पर प्रेस की गाड़ी नही लगा सकते इस बात का आभास होना मुश्किल है कि ऐसे जगह जहा पर समस्याओं की भरमार है जिसे पत्रकार अपने कलम से लिखकर सरकार तक पहुंचाता है और कोशिश करता है कि व्यवस्थाए दुरूस्त हो लेकिन जब पत्रकार ही ट्रामा सेन्टर नही जायेगा तो स्वस्थ की चरमाराई व्यवस्थाओं को उजागर कौन करेगा जैसे कि ट्रामा मे 4 लिफ्ट है लेकिन सिंर्फ एक चालू है बाकी की खराब पड़ी है या बन्द है जिससे मरीज व

तीमारदार सदैव परेशान रहते है जहां पर मरीजों की जांच होती है वहां पर सिर्फ लम्बी-लम्बी कोविड का उल्घन करते हुए भीड बनी रहती है सरकारी अस्पताल तो है लेकिन एमआरआई – 2200/- व हर जांच के भरपुर रूपया लिया जाता है किसी प्रकार की छूट दिखाई नही देती है इमरजेन्सी की सभी व्यवस्थाए सुस्त पड़ी है डाक्टर 1 या 2 और ए.नम. 15 नर्स 4 ही दिखाई पड़ते है इमरजेन्सी मे चाहें गम्भीर मरीज हो या साधारण एक ही भेड चाल मे हकाया जाता दिखाई पड़ता है इस तरह की कई व्यवस्थाए ट्रॉमा सेन्टर की है जिसे झुठलाया नही जा सकता।

सरगर्मियॉ न्यूज
ब्यूरो-मोहम्द फहीम

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