आँत से बनाया बच्चेदानी का रास्ता स्त्री रोग सर्जरी में मिली महत्वपूर्ण सफलता।

*ब्रेकिंग न्यूज़*

*लाइव सरगर्मियां न्यूज़ दिनांक 1 अक्टूबर 2024 लखनऊ*

आँत से बनाया बच्चेदानी का रास्ता स्त्री रोग सर्जरी में मिली महत्वपूर्ण सफलता।

KGMU में स्त्री रोग सर्जरी में प्राप्त एक अभूतपूर्व उपलब्धि में क्वीन मैरी अस्पताल केजीमयू में स्त्री रोग विशेषज्ञों और सर्जन की टीम ने गर्भाशय ग्रीवा के एट्रेसिया जन्मजात विकार जिसमे योनि और गर्भाशय ग्रीवा अविकसित होती है को सिग्माइड वैजिनोप्लेस्टी आंतों से योनि का रास्ता बना कर सही किया जो जन्मजात प्रजनन संबंधी विसंगातियों के उपचार में एक महत्त्वपूर्ण कदम है गर्भाशय ग्रीवा एट्रेसिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भाशय ग्रीवा और योनि अनुपस्थित या अविकसित होती है जिससे मासिक धर्म नहीं आता है गर्भाशय में मासिक रक्त जमा होने से पेट में अत्यधिक दर्द यौन रोग एवं बांझपन हो सकता है डॉक्टरो की टीम में डॉ. एस पी जयसवार, डॉ. सीमा महरोत्रा डॉ. पी एल संखवार और डॉ. मंजूलता वर्मा, एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. एहसान सिद्दीक़ी, डॉ. श्रुति, डॉ. ख्याति और सिस्टर ममता शामिल थे बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग के डॉ. एस एन कुरील ने अपने शल्य चिकित्सा कौशल के साथ इस सर्जरी को सफल बनाया यह मामला बाराबंकी निवासी एक 17 वर्षीय अविवाहित महिला सुनीता बदला हुआ नाम का है जिसे पिछली चार सर्जरी के बाद भी ठीक नहीं किया जा सका इसके पश्चात उसे केजीमयू रेफेर किया गया था बार बार योनि सर्जरी के बाद भी उसकी समस्या दूर नहीं हुई जिससे गर्भाशय के अंदर मासिक धर्म के रक्त के संग्रह के कारण असहनीय पीड़ा होती थी यहाँ तक कि कुछ चिकित्सकों ने उसे गर्भाशय निकालने की सलाह भी दी थी डॉ. एस पी जयसवार ने बताया कि सर्विकोवैजिनल एट्रेसिया में सर्जिकल उपचार चुनोतीपूर्ण होता है ग्राफ्ट किया गया ऊतक ना तो स्खलित होना चाहिए ना संकुचित होना चाहिए और संतोषजनक सौंदर्य परिणाम प्रदान करना चाहिए
पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ एस न कुरील ने बताया कि वैजिनोप्लेस्टी के लिये सिग्माइड कोलन बड़ी आँत को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि यह वैजिनल ऊतको के सामान होता है जिससे अधिक प्रभावी परिणाम मिलते है उन्होंने बताया कि सिग्माइड कोलन वैजिनोप्लेस्टी बड़े लुमेन आघात प्रतिरोधी मोटी दीवारे और पर्याप्त सार्व के कारण पसंद का उपचार है इस से नीचे के रास्ते को चिकनायी मिलती है लंबे समय तक फैलाव की आवश्यकता नहीं होती है और कम समय में ठीक हो जाता है
स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अंजू अग्रवाल ने बताया कि लोगो में यह जागरूकता ज़रूरी है कि जन्मजात प्रजनन विकार शल्य चिकित्सा जैसा जटिल ऑपरेशन विशेषज्ञों द्वारा गहन जाँच के बाद ही कराने चाहिए जिससे मरीज़ को अच्छे परिणाम मिल सके।

डॉ सीमा महरोत्रा ने बताया की औपरेशन के बाद से मरीज़ को नियमित मासिक धर्म शुरू हो गया है दर्द की समस्या से निजात मिल गई है प्रोफेसर पी एल संखवार ने बताया कि ऐसी दुर्लभ स्थिति लगभग 1 में 5000 महिलाओं को प्रभावित करती है

डॉक्टर मंजूलता वर्मा ने निष्कर्ष निकाला कि यह सर्जिकल तकनीक ऐसे मरीज़ो के जीवन की गुर्णवत्ता को महत्वपूर्ण रूप से सुधार सकती है माननीय कुलपति केजीएमयू प्रो सोनिया नित्यानंद ने सफल शल्य चिकित्सा पर समस्त टीम को बधाई दी है।

*लाइव सरगर्मियां न्यूज़ से संवाददाता रवि उपाध्याय की रिपोर्ट*

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