अजादारी के तकद्दूस और एहतराम को कम करने की कोशिश।
लखनऊ के उलेमा ए कराम ने दिया चेल्लम के जुलूस पर अहम बयान।
लखनऊ,संवाददाता। हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके इकहत्तर नासिरों ने जो अजीमुश्शान कुर्बानी करबला में पेश की थी,उसी की याद में दुनिया भर में मोहर्रम मनाया जाता है। हज़रत इमाम हुसैन की शहादत के सिलसिले में मनाया जाने वाला मोहर्रम लोग अपने अपने रिवायती अंदाज से मनाते हैं। लेकिन इधर लखनऊ में उठने वाले जुलूसों में कुछ नई चीज़ों को कई वर्षों से शामिल कर के अजादारी के तकद्दूस और एहतराम को कम करने की कोशिश जारी थी,जुलूसे अजादारी के तकद्दूस और एहतराम को कम करने की इस कोशिश के खिलाफ लखनऊ का नवजवान तबका सामने आ गया है। इस मामले को लेकर शहर के कुछ नौजवानों ने ओलमा ए कराम से राबेता किया और इस बात पर अफसोस ज़ाहिर करते हुए ओलमा ए कराम से आगे आने को कहा।इसी मामले को लेकर गत दिनों इमामबाड़ा नाजिम साहब में ऐक मीटिंग भी आयोजित हुई थी। जिसमे कहा गया था,लखनऊ की अजादारी जो पूरी दुनिया में मशहूर है उसको खराब किया जा रहा है। इस सिलसिले में नौजवानों ने कल आयतुल्लाह हमीदुल हसन साहब, रुहुल मिल्लत मौलाना आगारूही साहब, मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी साहब ,मौलाना सैफ अब्बास साहब और मौलाना फरीदुल हसन से मुलाकात की और तमाम ओलमा ने इस बात से इत्तेफाक किया के चेहल्लुम के जुलूस में नई चीज को ना शरीक किया जाए। और कदीमी रिवायत से जुलूस को बरामद किया जाए। लिहाजा मोमिनीन जुलूस के तकद्दुस को काएम रखें और जुलूस में ख्वातीन जियारत की गरज से तशरीफ लाए।
उलेमा ने अपनी तहरीर देकर नौजवानों के साथ इत्तेफाक किया है।
बताते चले कि कुछ बरस पहले चेहल्लुम के जुलूसों अपनी रिवायती अंदाज में ही बरामद हो रहे थे, जिसमें अलम और ताबूत वगैरह शामिल होते थे। मगर अब इसमें झंडे, बैनर, फ़ोटो वगैरह शामिल कर दिए गए हैं।जिसकी वजह से अलम और ताबूत का एहतराम कम हो रहा है।
ब्यूरो रिपोर्ट।
मोहम्मद फहीम।
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