संयुक्त परिवार की तरफ वापस लौटें लोग मालिनी अवस्थी केकेसी में लिट फेस्ट के दूसरे संस्करण का शुभारंभ हुआ।

*ब्रेकिंग न्यूज़*

*लाइव सरगर्मियां न्यूज़ दिनांक 14 नवंबर 2024 लखनऊ*

संयुक्त परिवार की तरफ वापस लौटें लोग मालिनी अवस्थी केकेसी में लिट फेस्ट के दूसरे संस्करण का शुभारंभ हुआ।

*केकेसी कॉलेज में लिट फेस्ट के दूसरे संस्करण में पहले दिन आयोजित तीन सत्रों में मेहमानों ने खुलकर बात की*

*लखनवी तहजीब आज भी जिंदा है अगर आपको इनको जानना है तो चौक में जाइए।

लखनऊ के श्री जय नारायण मिश्र महाविद्यालय में आज दो दिवसीय, केकेसी लिट फेस्ट के दूसरे संस्करण का शुभारंभ, मुख्य अतिथि, प्रख्यात लोक गायिका, पद्मश्री मालिनी अवस्थी के कर कमलों द्वारा मां सरस्वती प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ इस अवसर पर उन्होंने बताया कि यही लखनऊ के गणेशगंज में उनका ददिहाल था गणेशगंज में जैसे पूरा लखनऊ बसता था उन्होंने बताया कि गणेशगंज, एक पूरी संस्कृति है उन्होंने कहा कि आज हम किस्सा सुनने के लिए किसी मंच कलाकार को ढूंढते हैं किंतु यह किस्से हमें सरलता से अपने घर के बुजुर्गों से सुनने को मिल जाते थे और जो रस उनके मुंह से इन किस्सो को सुनने में मिलता था वैसा आनंद और कहीं नहीं था उन्होंने कहा कि केकेसी में उनके ताऊ, पंडित अमरनाथ मिश्रा, फिजिक्स के प्रोफेसर थे और उनके यहां संयुक्त परिवार की प्रथा थी उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार ही आज संस्कृति की वास्तविक धरोहर है पूरे विश्व में इसकी कमी है उन्होंने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप की बात दोहराई, जिसमें उन्होंने कहा है कि परिवार ही सब कुछ है और अब हमको अपने पुराने फॉर्मेट यानी संयुक्त परिवार की तरफ लौटना है उन्होंने कहा कि किस्सा सुनाने वालों और सुनने वालों दोनों के पास इत्मिनान होना चाहिए केकेसी लिटफेस्ट 2 के उद्घाटन के अवसर पर प्राचार्य प्रो. विनोद चंद्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय मंत्री प्रबंधक, श्री जी सी शुक्ला ने कहा कि केकेसी लिटफेस्ट 2 के माध्यम से छात्र-छात्राओं को लखनऊ और अवधी संस्कृति के बारे में जानने का अवसर मिलेगा लखनऊ को जीने वाले कलाकारो और साहित्यकारो के मुंह से छात्र छात्राएं जब लखनऊ की दास्तान सुनेंगे उससे छात्र-छात्राओं के दृष्टिकोण को व्यापकता मिलेगी उन्होंने कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी को शुभकामनाएं दी
लिट़्फेस्ट 2 के प्रथम सत्र में मालिनी अवस्थी से डॉ अंशुमालि शर्मा, रूबरू हुए एक सवाल के जवाब में पद्मश्री मालनी अवस्थी ने बताया कि उनका जन्म एक डॉक्टर परिवार में हुआ फिर भी उनकी रुचि गीत और संगीत की तरफ थी उन्होंने बताया कि पहले सभी घरों में भोर की शुरुआत भजन से होती थी घरों में कहीं रेडियो पर भजन तो कहीं रामचरितमानस सुनाई देते थे
यहीं से संगीत की सरिता हम सभी के हृदय में प्रवेश करती थी उन्होंने कहा कि हम सभी के डीएनए में संगीत है हमने घरों में देखा है कि जिन स्त्रियों को कभी आपने गाते हुए नहीं सुना होगा वे भी गवनई में ढोलक पर मांगलिक अवसरों पर रीति रिवाज वाले गीत पूरी तरह से गा लेती थी उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता काफी मुखर है हम अभिव्यक्ति पसंद लोग है और हमारी अभिव्यक्ति भी काफी लाउड होती है हम बिना घंटा घड़ियाल के भजन और कीर्तन नहीं गा सकते उन्होंने युवाओं से कहा कि हमें अपनी समृद्ध संस्कृति पर झिझक छोड़कर गर्व करना चाहिए उन्होंने बताया कि जो जनग्राह्य है वही लोक है उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत का आनंद आप तभी ले सकते हैं जब आपको शास्त्रीय संगीत की समझ हो किंतु लोक कलाएं सभी के हृदय पर राज करती है उन्होंने उदाहरण दिया कि शादियों में गाई जाने वाली गारी एक अद्भुत लोक शैली है उन्होंने कहा कि भगवान राम ने भी अपनी ससुराल में उन्हें सुनाए गए गारी के गीत आशीर्वाद के रूप में लिये लोगों के कहने पर उन्होंने गारी की दो पंक्तियां गाकर सुनाई..”कहीं गोरी से नैना लड़े होईहै..जेल खाने में समधि पड़े होइहैं” “खद्दर का कुर्ता, खद्दर का पजामा-उनके कुर्ता पर नंबर पड़े होईहैं” एक सवाल के जवाब में मालिनी अवस्थी ने कहा कि 22 जनवरी 2024 को श्री रामलला धाम अयोध्या में गीत गाना उनके जीवन का श्रेष्ठतम अनुभव था उन्होंने हाल ही में दिवंगत, भोजपुरी लोक गायिका, शारदा सिन्हा के बारे में बताया कि लोग कहते हैं कि भोजपुरी को फिल्मों की वजह से समृद्धी मिली किंतु मैं ऐसा नहीं मानती भोजपुरी भाषा को जो प्रबलता शारदा सिन्हा जी से मिली वह अतुलनीय है उन्होंने महाविद्यालय प्रबंधन से आग्रह भी किया कि लोक कलाओं और लोकगीतों की शिक्षा महाविद्यालय के छात्रों तक भी पहुंचे ऐसी व्यवस्था की जाए जिसके लिए महाविद्यालय प्रबंधन ने भी सहमति दी
केकेसी लिटफेस्ट 2 के दूसरे सत्र में प्राचार्य प्रो विनोद चंद्रा ने सत्र के अतिथि, श्री आशुतोष शुक्ला का साक्षात्कार किया अतिथि वक्ता के तौर पर श्री आशुतोष शुक्ला, प्रमुख संपादक, दैनिक जागरण, उत्तर प्रदेश ने छात्र-छात्राओं से कहा कि लखनऊ की दो चीजे लखनऊ की सबसे बड़ी पहचान है वह है लखनऊ का बड़ा मंगल और मोहर्रम उन्होंने बताया कि पहले बड़ा मंगल ऐसे नहीं मनाया जाता था केवल गुड और चने का प्रसाद मिलता था लेकिन आज अच्छी बात है कि बहुत सारी चीजे बड़े मंगल पर भंडारा प्रसाद के रूप में वितरित होती है उन्होंने कहा कि लखनवी तहजीब आज भी जिंदा है अगर आपको इनको जानना है तो चौक में जाइए लखनऊ के कायस्थ खत्री, शियाओ,बाजपेई और जैन लोगों मे अभी भी आप लखनऊ को ढूंढ सकते है उन्होंने कहा कि गोमती नगर के लखनऊ में हो सकता है आपको सफेद फॉर्च्यूनर गाड़ियां और सफेद कुर्ते देखने को मिले तो इसका मतलब यह नहीं है लखनऊ में अब लखनऊ का कुछ भी नहीं रहा एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 1857 के गदर इतिहास में लखनऊ को उतनी जगह नहीं मिल सकी जितना इसका हक था क्योंकि इसके पास तात्या टोपे या झांसी की रानी नहीं थे उन्होंने लखनऊ की नुक्कड़ बाजी की भी चर्चा की छात्रों से कहा कि लखनऊ को जानने के लिए अपने घर से निकलना जरूरी है शहर में घूमना जरूरी है लोगों से बात करना जरूरी है और आप इस शहर को जितना जानेंगे आपका इससे उतना ही लगाव बढ़ता जाएगा उन्होंने यह भी कहा कि यदि आप अपने घर से बाहर निकलते हैं तो आप डिप्रेशन के मरीज कभी नहीं बनेंगे उन्होंने कहा कि बहुत कम लोग यह जानते हैं कि लखनऊ एक साइंस सिटी भी है यहां पर लगभग सभी विधाओं के मेडिकल कॉलेज और और उच्च कोटि के राष्ट्रीय वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्रो की भरमार है उन्होंने लखनऊ के तीन साहित्यकारों रघुवीर सहाय, अमृतलाल नागर और भगवती चरण वर्मा की चर्चा की वहीं उन्होंने यशपाल, केपी सक्सेना, योगेश प्रवीन और कुंवर नारायण आदि को लखनऊ का हस्ताक्षर बताया उन्होंने छात्र-छात्राओं को बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय ने अनेक नगीने दिए किंतु अपने पड़ोस में बीएचयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के होने की वजह से इसकी ख्याति कहीं ना कहीं छुप गई एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मन की उन्मुक्त उड़ान ही लोक है और यदि इन्हें परिभाषाओं में बांध दिया जाए तो वह शास्त्र बन जाते हैं उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि लोगों का सम्मान करना सीखें और विनम्र व्यवहार रखें आप कभी असफल नहीं होंगे और यही हमारी लखनवी तहजीब भी है केकेसी लिटफेस्ट 2 के तीसरे सत्र में प्रो अनिल त्रिपाठी ने प्रख्यात गजल गायक एवं प्रशासनिक अधिकारी, डॉ हरिओम, प्रमुख सचिव, समाज कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश से गुफ्तगू की एक सवाल के जवाब में डॉ हरिओम ने कहा कि हिंदी कविता को समझने के लिए इसके व्यापक स्वरूप को समझना जरूरी है गायकी के अपने शौक के बारे में उन्होंने बताया कि पहले मैं घर परिवार में गाता था लोगों की प्रशंसा मिलती थी किंतु पब्लिक सिंगिंग में मुझे पता था कि कंसेशन नहीं मिलता और मुझे परफेक्शन के साथ आना होगा इस लिए मैंने सीखने में काफी मेहनत की और लोगों का अनुसरण भी किया प्रो त्रिपाठी के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि प्रशासनिक सेवा एवं अपने शौक में एक संतुलन बनाना था क्योंकि सेवा और शौक दोनों ही व्यक्ति के लिए जरूरी होते हैं उन्होंने कहा कि संतुलन तो कायनात में भी है तभी वह मुकम्मल है इसी तरह हमें भी अपने जीवन में अपनी हाबी और अपने कर्तव्य में संतुलन बनाना होगा उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि जमीन, जुबान और तहजीब में हमेशा संबंध बनाकर रखें और कभी यह न कहें कि आई हैव फॉलेन इन लव, हमेशा कहें कि आई हैव राइजेन इन लव अर्थात प्यार में हम गिरे नहीं बल्कि हमारा उत्थान हुआ डॉ हरिओम के इस कथन पर युवा छात्रो ने जमकर तालियां बजाई डॉ हरिओम ने अपनी प्रसिद्ध गजल “तेरे इश्क में मारा हुआ हूं मैं सिकंदर हूं मगर हारा हुआ हूं मैं” गाकर सुनाई जिस पर छात्र छात्राओ ने जमकर तालियां पीटी उन्होंने दर्शकों के अनुरोध पर “आंखों में इकरार नहीं कह दो हमसे प्यार नहीं” गाकर सुनाया डॉ हरिओम से छात्र-छात्राओं ने भी अनेकों प्रश्न किये उनके जवाब में उन्होंने कहा कि यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो 8 घंटे की पढ़ाई पर्याप्त होगी 8 घंटे आप जमकर सोए और 8 घंटे आपका जो दिल करे वो कीजिए उन्होंने असफल होने वाले छात्र-छात्राओं से कहा कि वे निराश ना होए किसी क्षेत्र में आप असफल होते हैं तो दूसरे क्षेत्र को चुनिए हो सकता है उसमें आप शीर्ष पर जाएं उन्होंने चंद लाइने भी सुनाई, “इधर जो डूब गया मैं, तो उधर से निकलूॅगा, आफताब बनकर जिधर भी निकलूॅगा कार्यक्रम का संचालन, प्रो पायल गुप्ता ने किया इस अवसर पर महाविद्यालय के अनेक शिक्षक कर्मचारीगण अतिथि गण एवं छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

*लाइव सरगर्मियां न्यूज़ से संवाददाता रवि उपाध्याय की रिपोर्ट*

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